User talk:Dr shobha Bhardwaj
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ईरान की विदेश नीति को समझना आसान नहीं है (ईरान इजरायल टकराव )डॉ शोभा भारद्वाज
[edit]ईरान की विदेश नीति को समझना आसान नहीं है|(ईरान इजरायल टकराव ) डॉ शोभा भारद्वाज दमिश्क में ईरानी कंसुलेट ( वाणिज्य दूतावास )पर इजरायल के हमले में सात अधिकारियों की मृत्यू हो गयी | ईरान रिजीम सदैव बढ़ चढ़ कर बोलता था अत: उस पर दबाब था साख खतरे में थी इसलिए उसने ड्रोन एवं मिसाईल से इजरायल पर 185 ड्रोन एवं 150 क्रूज एवं बैलिस्टिक मिसाईलों से हमला किया कुछ मिसाईल पहले गिर गयीं इनका निशाना ऐसा ही है ईराक ईरान जंग में ईराकी फाईटर प्लेनों पर इनका निशाना मैने देखा है बाकी 99% ड्रोन एवं मिसाईलों को इजराईल के सुरक्षा बलों जीपीएस जैमिंग तकनीक का प्रयोग कर विफल कर दिए ईरान विश्व को बताना चाहता था उसने अपना बदला ले लिया अब वह इजरायल पर अटैक नहीं करेगा |इजरायल ने 19 अप्रैल को इमाम खामेनेई के जन्म दिन के अवसर पर ईरान के प्रसिद्ध शहर इस्फहान के परमाणु केंद्र के पास हमला कर जता दिया ईरान उनकी जद में हैं एक हमला ईराक में बगदाद के पास गावँ के एक मकान पर किया यहाँ मीटिंग चल रही थी | इस्फहान ईरान का बहुत खूबसूरत शहर है वहां कहा जाता है ,’इस्फहान निस्फे जहान ‘ है इस्लामिक गणराज्य ईरान अपने में एक पहेली है इस मुल्क को वही समझ सकते हैं जो लम्बे समय तक वहाँ रहें हैं जिनका जनता से सम्पर्क रहा है वहां के लोग कहते थे शाह के खिलाफ क्रान्ति में कहा जाता था ईरान में दौलत कुछ लोगों के हाथ में है यदि बांटा जाए हर बाशिंदे के हाथ में रोज पांच तुमान एवं 5 लीटर तेल आता है शाह के समय महंगाई न के बराबर थी हमें लगा बहुत है समझ नहीं आ रहा था देश कैसे चलेगा एक जनून था |वहाँ सत्ता पर मौलानाओ का पूरी तरह कब्जा है दीनी सियासत का कोई तोड़ नहीं है ईरानी क्रान्ति का उद्देश्य प्रजातांत्रिक व्यवस्था की स्थापना करना था ईरान का नाम अब जम्हूरिये इस्लामिय ईरान है बकायदा चुनाव होते हैं परिवार का एक आदमी सबका वोट दे आता है | उम्मीदवार मौलानाओं के गुट का होता है उन्हें मौड्रेट कह लीजिये या कट्टर पंथी निजाम का उद्देश्य मिडिल ईस्ट में शिया प्रभावित क्षेत्रों में अपना प्रभाव बढ़ाना विरोध होने पर विद्रोहियों की मदद करना , विश्व में शियाओं का परचम लहराना है |
उनके पास शियाईज्म के नाम पर शहादत देने के लिए पासदाराने इंकलाब ( ईरान में क्रान्ति दूतों का समूह ) शहादत के लिए तैयार रहते थे स्वर्गीय आयतुल्ला इमाम खुमैनी के समय नारा था “इमामे माँ इमामे माँ रूहे खुदाई फरमान बिदे फरमान बिदे “( हमारे इमाम खुदा की रूह है बीएस फरमान दीजिये ) इनका इंचार्ज स्वर्गीय जनरल सुलेमानी ईरानी गुप्त अभियानों के संचालक थे मक्का में एक अलग गेट की मांग भी ईरान द्वारा की गयी | इस्लामिक सरकार की विदेश नीति अपने देश के हितों का ध्यान रखती है मौका देख का नीति बदलती रहती है ईरान ईराक युद्ध के समय नारे लगते थे जंग -जंग ता फिरोजी ( जंग तब तक चलेगी जब तक जीत हासिल नहीं होती )लेकिन जब स्वर्गीय आयतुल्ला इमाम खुमैनी ने देखा जीतना आसान नहीं है उन्होंने सुलह की पेशकश कर जंग रोक दी ईरान टीवी में अपने संदेश में उन्होंने कहा जंग रोकना ‘जहर मार खोर्दम’( विष पान करने जैसा है)
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अमेरिका को शेताने बुजुर्ग कहते है मर्ग बा इजरायल नारा है इजरायल शैतान हैं उसे समाप्त कर मस्जिद अक्सा पर अधिकार करना है |जुम्मे नमाज के भाषणों में वहां के लोगों को स्वप्न दिखाया जाता है एक दिन वह दुनिया को इस्लाम कर देंगे बेचारे क्रान्ति दूत नहीं जानते थे विश्व की कितनी जनसंख्या है | इस्लाम में अल्लाह ,पवित्र कुरआन और पैगम्बर मुहम्मद (सुन्नी मान्यता ) शियाइज्म में भी 1. अल्लाह , 2. पवित्र कुरआन , 3. पैगम्बर मुहम्मद , लेकिन इमाम का अपमा महत्व है वह इमाम अली के पैरोकार हैं |
ईरान में देश से जुड़े सभी राजनीतिक मसलों पर अंतिम फैसला आज के इमाम अली खामेनेई का हैं | वह सशस्त्र सेनाओं के सुप्रीम कमांडर ,सुरक्षा वल उनके नियन्त्रण में हैं ,विदेश नीति ,अर्थ व्यवस्था , पर्यावरण ,शिक्षा एवं राष्ट्रीय योजना पर उनका निर्णय अंतिम है | दूसरा पद राष्ट्रपति का हैं | वहां के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी कट्टर पंथी हैं अपने आपको वह कट्टर शिया एवं मजहब का रखवाला बताते हैं | मौलानाओं ने अपनी सत्ता मजबूत करने के लिए राजनीतिक बंदियों को गिरफ्तार कर उन्हें मृत्यू दंड दिया जाता था एक कैदी एक गोली रईसी खुफिया डेथ कमेटी के अहम सदस्य थे | आगा रईसी पहले रराष्ट्रपति हैं जिन पर पद भार सम्भालने से पहले अमेरिकन प्रतिबन्ध लग चुका था |इन्हीं के कार्यकाल में हिजाब न पहनने पर महाशा अमीनी को गिरफ्तार किया गया जेल में उसकी मृत्यू हो गयी पूरा ईरान हिजाब के विरोध में खड़ा हो गया लेकिन धीरे – धीरे सख्ती से आक्रोश को दबा दिया गया |
वह मानते हैं इराक द्वारा तेहरान पर चलाई जाने वाली कोरियन मिसाईल की दहशत ईरान की हार का कारण था |ईरान किसी भी कीमत पर परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बनना चाहता है तभी फिरोजी(जीत ) हासिल होगी पूरे जोर शोर से वह परमाणु शक्ति बनने के करीब है | इजरायल एवं अरबी देश नहीं चाहते वह परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की श्रेणी में आ जाये |मौलानाओं का मुस्कराता चेहरा मीठी जुबान झुक – झुक कर मी बक्षी ( माफ़ कीजिएगा ) खस्ता न बाशी ( आराम से काम करो थको नहीं )दिल जीत लेता है लेकिन आँख बदलने में उनका जबाब नहीं है उन्हें प्रभावित करना आसान नहीं है उनका उद्देश्य है’ अपना देश पहले , स्वदेशी ‘निर्माण उनका उदेश्य है वह विदेशियों को तभी तक सहते हैं जब तक उनकी मजबूरी है| मौलाना फूक – फूक कर कदम रखते हैं चीन से सम्बन्ध बनाते है लेकिन चीन को अल्पकालीन लाभ जरुर हो सकता है दीर्घकालीन नहीं जिस दिन समझ आयेगा चीन से फायदा नहीं है तेहरान एवं बड़े -बड़े शहरों में विशाल जलूस निकलेंगे चीन के विरोध में नारे लगेंगे मर्गबा शैतान चायना ( चीन मुर्दाबाद )
जिस दिन ईरान परमाणु शक्ति अपने हिसाब से अर्जित कर लेगा उसके पास बैलिस्टिक मिसाईल होगी जिनका निर्माण स्वयं करेंगे मानेगा इस्लामिक जगत में उनका झंडा बुलंद होगा | आय के स्तोत्र की कमी नहीं है पेट्रोल प्रोड्यूसिंग देश है हथियारों की खरीद करते रहते हैं विद्रोहियों की आर्थिक सहायता भी देते हैं महंगाई बढती जा रही हैं अपने लोगों को कम में जीना सिखा दिया |
विशेषज्ञ आज के हालात को विश्व युद्ध का खतरा मानते हैं लेकिन मौलाना जब तक परमाणु शस्त्रों से पूरी तरह लैस नहीं हो जाते तब तक ऐसे ही वार करते रहेंगे वह जानते हैं लम्बा युद्ध उनके लिए मुश्किल है छद्म युद्ध आसान है | इजरायल भी अभी गाजा पट्टी ,हुती और हिज्बुल्लाओं से लड़ाई में व्यस्त है अपने लोगों का उस पर अपने गिरफ्तार किये गये लोगों को आजाद कराने का दबाब है | स्तोत्र - कई वर्ष ईरान में रही हूँ ,ईरान की विदेश नीति के प्रमुख स्तोत्र जुम्मे नमाज में दिए गये इमाम अली खमैनई के भाषण , हस्ताक्षर -डॉ शोभा भारद्वाज Dr shobha Bhardwaj (talk) 19:24, 6 May 2024 (UTC)
हिन्दू विवाह पाणिग्रहण संस्कार है , तलाक फिर भी होते हैं , डॉ शोभा भारद्वाज
[edit]हिन्दू विवाह पाणिग्रहण संस्कार हैं तलाक फिर भी होते है | डॉ शोभा भारद्वाज भारतीय संस्कृति के अनुसार स्त्री पुरुष के सम्बंध पूरकता ,सहयोग की भावना पर आधारित माने जाते हैं अत: जीवन साथी एक दूसरे के प्रतिद्वंदी नहीं है दाम्पत्य जीवन में अर्द्धनारीश्वर शब्द की कल्पना हमारी संस्कृति की देन है ऐसा उदाहरण किसी संस्कृति में नहीं मिलता| प्राचीन काल में स्त्रियों की गरिमा और स्वतन्त्रता का पूरा सम्मान किया जाता था |विवाह में पाणिग्रहण संस्कार के समय पति-पत्नी का हाथ पकड़ कर कहता था मेरे घर की साम्राज्ञी बनो |
जबकि नारी की समानता की भावना पश्चिम की देंन है | हमारी संस्कृति में नारी को पुरुष से श्रेष्ठ मानते हैं माँ हमारे यहाँ सबसे ऊचें सिहांसन के योग्य है वह जन्म दात्री ही नहीं पालक भी है और पत्नी सहचरी अर्द्धांग्नि है यज्ञ में वह पति के साथ आहुति देती है पति पत्नी और सन्तान से पति पत्नी सम्पूर्ण होते हैं |
हिन्दू विवाह को पाणिग्रहण संस्कार के नाम से जाना जाता है। अन्य धर्मों में विवाह पति और पत्नी के बीच एक प्रकार का करार ( समझोता )होता है जिसे विशेष परिस्थितियों में तोड़ा भी जा सकता है परंतु हिंदू विवाह पति और पत्नी के बीच जन्म-जन्मांतरों का सम्बंध माना जाता था जिसे किसी भी परिस्थिति में तोड़ा नहीं जा सकता। अक्सर महिलाएं करवाचौथ के व्रत के समय अपने पति को सात जन्मों के लिए मांगती हैं | प्राचीन शास्त्रीय हिंदू कानून के अनुसार हिंदू विवाह में तलाक जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी, तलाक शब्द मुस्लिम कानून में है तथा रोमन कानून में डायवोर्स शब्द है हिंदुओं में विवाह एक पवित्र संस्कार है जो अग्नि के चारो और सात फेरे लगाकर सात बचनों से बंधा होता है।
विवाह एक प्रेममय गृहस्थ जीवन के लिए है परंतु यदि यह विवाह जीवन में कलेश का कारण बन जाये दोनों के भीतर नफरत की आग जलने लगे तो ऐसी परिस्थिति में विवाह के संबंध को रखना मुश्किल हो जाता है जब एक दूसरे के साथ जीना मुश्किल हो जाए अलग होना उचित है |कहते हैं पति पत्नी का जोड़ा स्वर्ग में बनता है जरूरी नहीं है कुछ नरक में भी बनते हैं जब भी शादी केवल अभिप्राय या लाभ की दृष्टि से की जाती है एक पक्ष आँख मूंद लेता है अभिप्राय पूरा न होने पर विवाह सम्बंध में दरार आ जाती है |
विवाह विज्ञापन – केवल फेरों के दोषी , शादी कुछ ही दिन चली , इनोसेंट डायवर्ससी ,निसंतान तलाक शुदा समझ लें शादी कुछ साल चली थी अलग हो गये |फेस बुक में दोस्ती हुई प्यार करने लगे शादी हुई पर अलग हो गये बचपन के दोस्त थे लगता था एक दूसरे के बिना जी नहीं सकेंगे एक दूसरे के प्रेम की कसमें खाते थे वही कोर्ट में एक दूसरे पर अभियोग लगाते हैं | समय बीतने के साथ इतनी कड़वाहट कैसे हुई ? परिवार से लड़ कर विवाह किया एक छत के नीचे जब रहे समझ में आया हम दोस्त ही अच्छे थे म्यूचुअल डायवर्स हो गया लेकिन अब भी हम दोस्त हैं| एक हजार विवाहों में म्यूचुअल तलाक 868 तक पहुंच गये हैं|
आजकल वकील बिना किसी आक्षेप लगाये दोनों की सहमती से तलाक करवा देने की गारंटी देते है | वकील समझाते है तलाक चाहते हो कोर्ट के चक्कर लगाते – लगाते थक जाओगे यदि जल्दी छुटकारा चाहिए म्यूचुअल तलाक हो जायेगा| दहेज वापिस, शादी का सारा खर्चा दिलवा दूंगा यदि लड़की नौकरी पेशा नहीं है लड़के की हैसियत के मुताबिक एक साथ तय रकम दिलवा दूंगा मांग बड़ी होती है मोल भाव हो जाता है वकील साहब को अच्छा कमिशन मिल जाता है जिन्हें पुन: विवाह करना है वह म्युचुअल डायवर्स चाहते हैं लेकिन जरूरी नहीं फिर से पुनर्विवाह हो जाए सफलता की गारंटी भी नहीं है |
पहले सम्बंध टूटना आसान नहीं था कोर्ट में लड़ते – लड़ते दोनों पक्ष थक जाते थे बीच बचाव से फैसला भी हो जाता था कोर्ट की दहलीज से लौट कर टूटता घर फिर से बस गया ऐसे कई जोड़े आज बाल बच्चे दार अच्छे गृहस्थ हैं |अच्छा जीवन बिता रहे हैं |
धूमधाम से विवाह बड़े – बड़े पंडाल डिजाईनर शादियाँ होती हैं| अरेंज मेरिज में भी माता पिता की कोशिश रहती है विवाह से पहले एक दूसरे को जान लें भावी जोड़े घंटो बातें करते है मिलना जुलना बातों का सिलसिला बढ़ता जाता है एक दूसरे के सामने दिल खोल कर रख देते हैं लड़के अपने कितने ब्रेक हुए कितनी बार दिल टूटा यह भी नहीं छुपाते लड़कियां भी कम नहीं है | ऐसा लगता है एक दूसरे के बिना जी नहीं सकेंगे शुद्ध मन से पिछला सब भूल कर एक दूसरे से सम्बंध जोड़ना चाहते है विवाह की खरीददारी भी मिल कर करते हैं हनीमून डेस्टिनेशन कौन सा सही रहेगा ?हैरानी होती है एक दूसरे से दिल खोला था अब उन्हीं विषयों को कोर्ट में उछाल कर आरोप लगाये जाते हैं | जिनकी हैसियत नहीं थी वह भी शादी को यादगार बनाना चाहते थे मनमुटाव होने पर दोनों पक्ष कोर्ट में खड़े होकर ऐसे लड़ते है जैसे दो दुश्मन | छोटी – छोटी बातों पर तलाक जिन्हें मिल बैठ कर सुलझाया जा सकता है |
‘दिल्ली’ भारत की राजधानी है ‘मुम्बई’- भारत के अधिकांश बैंक , बिजनेस हाउस ,प्रमुख कार्यालय, कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टॉक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में स्थित है भारत की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री, जिसे बॉलीवुड कहा जाता है यहीं है इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। दोनों महानगरों में लगभग 40% शादियाँ तलाक पर खत्म होती है|
दिल्ली तलाकों की नगरी कहलाने लगी है 11 जुलाई 2022 के बाद होने वाले विवाहों में 50 % से 60 % तक तलाक में बढ़त हो गयी है |
बैगलौर में अनेक मल्टीनेशन कम्पनियों के दफ्तर है एवं ज्यादा शिक्षित राज्य केरल में तलाक के मामले बढ़ रहे हैं आश्चर्य पंजाब व हरियाणा में भी तलाक के मामले देखे जा रहे हैं। तलाक का दोष शिक्षित कामकाजी महिलों पर मढ़ दिया जाता है |टकराव का कारण मुख्यतया धैर्य की कमी और ईगो है दोनों टूट सकते हैं लेकिन एक भी झुकने को तैयार नहीं होता | महिलाओं की सोच बदली है अपने अधिकारों के प्रति वे जागरूक हुई हैं और अब अपनी गरिमा से वे घटिया समझौता नहीं करना चाहतीं। ऐसे विच्छेद देखे हैं अधिक से अधिक वर पक्ष को लूटने की कोशिश की जाती है कुछ लडकियाँ दांत पीस कर कहती सुनी हैं ऐसी बला सिर पर लाऊँगी बर्बाद कर दूंगी | जरूरी नहीं है वर पक्ष का दोष हो |
तलाक के अनेक कारण हैं कभी पति पत्नी के मनमुटाव का कारण परिवार के लोग होते है कभी आपसी सम्बन्धों में तकरार फिर खटास परिवार टूटने का कारण बन जाता है दहेज ,एवं शादी के बाद वर पक्ष की और से निरंतर मांग बढ़ती जा रही है पत्नी को इतना प्रताड़ित किया जा रहा है रहना मुश्किल हो जाता है कभी पत्नी के होते हुए भी दूसरी स्त्री से सम्बंध बना लेना घर टूटने का कारण बन जाता है ऐसे आक्षेप पत्नी पर भी लगाये जाते हैं |
परिवारों में आये दिन झगड़े बढ़ रहे हैं यदि मर्द क्रोधी है तो महिलाएं भी कम नहीं हैं रोज की तू तू मैं मैं झगड़े इतने बढ़ गये हैं नौबत तलाक तक आ गयी है तलाक के कारण भी जरा जरा से हैं ईगो इतनी टकराती है अंत में घर टूटता है दोनों कहते है अब साथ रहना मुश्किल था 16 वर्ष की शादी थी बच्चे भी है लेकिन तलाक बच्चों का क्या होगा ?कभी बच्चों के लिए खींच तान कोई नहीं सोचता सिंगल पेरेंट,बच्चे की परवरिश कितनी मुश्किल है | महिलाओं के हित में दहेज संबंधी कानून उनकी सुरक्षा एवं सुसराल की मांगों और प्रताड़ना से बचाने के लिए बनाये गये थे झगड़े का विषय कुछ भी हो उसे दहेज प्रताड़ना से जोड़ दिया जाता है और अधिकतर मामले झूठे पाए गये हैं|
जो महिलाएं वास्तव में प्रताड़ित की गयीं हैं मर गयीं उनमें अपनी आवाज उठाने की न हिम्मत थी न मार्ग दर्शक लेकिन दबंग महिलाओं ने इस अधिकार का भरपूर लाभ उठाने की कोशिश की धमकती हैं ऐसी बला सिर पर लाऊँगी जेल में पूरा परिवार जीवन भर चक्की पीसते नजर आओगे | कानून के दुरूपयोग पर सुप्रीम कोर्ट भी चिंता जता चुका है |अब पुरुष भी आगे आकर अपनी बात रख रहे हैं| हर मिया बीबी के झगड़े में समाज की सहानुभूति महिला के साथ होती है पति को शक की नजर से देखा जाता है |
आज भी ग्रामीण परिवेश में तलाक कम देखे जाते हैं विवाह संस्कार के बाद वर एवं वधू दोनों पक्षों के लोग सामने आते हैं वर पक्ष बचन देते हैं अपनी हैसियत के अनुसार आपकी बेटी को किसी प्रकार का कष्ट हमारे यहाँ नहीं होगा | यदि सुसराल में बेटी दुखी है दोनों पक्षों की पंचायत बैठती है आपस में समझौता कराने की कोशिश की जाती है फिर भी यदि समझौत न हो तब तलाक की नौबत आती है |
हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के अन्तर्गत स्त्री या पुरूष दोनों ही तलाक के लिए न्यायालय में आवेदन कर सकते हैं। यह अधिनियम हिन्दुओं, सिक्खों, बौद्ध धर्म मानने वाले एवं उन सब व्यक्तियों पर लागू होता है जोकि मुस्लिम, पारसी, ईसाई या यहूदी नहीं हैं । इस अधिनियम की धारा 13 के अन्तर्गत कई आधार हैं जिनके आधार पर विवाह का कोई भी पक्षकार पति या पत्नी इस अधिनियम के अंतर्गत होने वाले किसी वैध विवाह को विच्छेद करने हेतु (तलाक हेतु) न्यायालय के समक्ष आवेदन कर सकता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ भी भारत में बढ़ते तलाक के मामलों पर चिंता जता चुका है इसलिए सिंगल माताओं की तादात बढ़ रही है |न्यायालय देश में बढ़ते मामलों पर चिंता प्रगट कर चुका है | नई पीढ़ी शादी के बंधन में बंधने के बजाय लिव इन रिलेशन में रहना पसंद करते हैं यहाँ भी यदि अलग होना चाहते हैं फिर से विवाह करना चाहते है बिना बताये वह पहले किसी से सम्बन्धित थे विवाह करने की स्थिति में विवाह स्थल पर झगड़ा शुरू हो जाता है यदि एक पक्ष क्लेम करे इसने मुझे वचन दिया था विवाह करूंगा शोषण किया शारीरिक सम्बन्ध बनाये बलात्कार के इल्जाम लगाये जाते हैं ऐसे में मामला न्यायालय में जाता है |
जरूरी नहीं है महिलाओं पर जुल्म होते हैं पुरुष भी शोषण के शिकार हते हैं महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाये कानूनों का फायदा उठा कर उन पर अनेक दोष लगाये जाते हैं समाज में धारणा है महिला ही शोषित है पुलिस भी महिला की बात का मानी जाती है अब कई संस्थाएं बन गयीं वह पुरुषों को न्याय दिलवाने का प्रयत्न कर रही हैं |आजकल का ट्रेंड देख कर लड़के शादी नामक पवित्र बंधन से बंधने से डरने लगे हैं |
हिन्दू समाज की मान्यता थी विवाह सात जन्मों का प्यारा बंधन है अब तो शुरू से झगड़े शुरू हो जाते हैं नौबत तलाक पर आती है | सामाजिक संस्थाए कोशिश क्र रही है विवाह एक आदर्श बंधन बने उन समस्त कारणों को को पहले ही दूर कर विवाह किया जाए जैसे विवाह से पहले झूठ बाद में झगड़े की जड़ बनते हैं | दहेज लेना या देना अपराध है वधू को जो भी उपहार दिए जाएँ उनका लिखित ब्योरा होना चाहिए तभी विवाह का सर्टिफिकेट दिया जाये | झगड़े सुलझाने के लिए वर वधू पक्ष में संवाद होना चाहिए |कुछ लोगों के अनुसार पति पत्नी के बीच झगड़े की वजह माँ होती है मो होती है चाहे पत्नी की माँ या पती की माँ दोनों को समझदारी से चलना चाहिए घर तोड़ने के बजाय घर जोड़ने की कोशिश करना उचित है |
सन्दर्भ -समाज में बढ़ते तलाक की विवेचना के बाद लेख लिखा है | (हस्ताक्षर - डॉ शोभा भारद्वाज Dr shobha Bhardwaj (talk) 20:17, 26 May 2024 (UTC)
विवाह संस्था के मूल्यों का शने-शने ह्रास हो रहा है
[edit]विवाह संस्था के मूल्यों का शनै- शनै ह्रास हो रहा है
डॉ शोभा भारद्वाज
प्रश्न उठता है क्यों ?आज के युवक युवतियां जीवन की सीढ़ी पर पावँ रखने से पहले स्वयं की सुख शान्ति को अधिक महत्व देते हैं |विवाह से पूर्व अपनी कल्पना में ऐसी तस्वीर हृदय में बसा लेते हैं जिसे जीवन साथी के रूप में ढूंढना आसान नहीं होता |आज के संचार माध्यमों ने विवाह को मुश्किल कर दिया है एक बटन पर ऊँगली रखते ही भावी मैच की तस्वीरें एवं उनका बायोडेटा स्क्रीन पर तेजी से आने लगता है कहाँ ठहरे ? निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले अगला मैच सामने आ जाता है बीच समुद्र में नाविक को प्यास लगी चारो तरफ पानी है लेकिन खारा अनजान किनारे की तलाश में नाविक चप्पू चलाता रहता है इसी बीच उसकी उमर व ऊर्जा दोनों समाप्त होती जा रही है हताशा उस पर हावी होने लगती है वह थक हारकर चप्पू चलाना छोड़ देता है यही हाल विवाह के इच्छुक युवक युवतियों का है वर या वधू अनेक है लेकिन भाग्य किस्से जुड़ेगा उससे जो आपके योग्य है या आप जिसके योग्य हैं किसी एक पर न ठहरने से उमर बीतती जाती है |
शादी कर भी ली मन में मलाल रहता है जिसे पाना चाहते थे पा न सके जो मुझे पसंद था उसको मैं पसंद नहीं था या थी जिसने मुझे पसंद किया उसके साथ विवाह करना पड़ा |
आज के युवक युवतियां तर्क करते है पशू पक्षियों को अपना जोड़ा तलाश करने का अधिकार है हमें क्यों नहीं ? माता पिता द्वारा अरेंज मेरिज की धारणा को पसंद नहीं करते उनकी तलाश जानकार मित्रों से शुरू होती है मिलना बातें करना एक दूसरे को रिझाने के लिए अपना बखान करते हैं ,दोनों कुछ देर के लिए मिलते हैं अपना सर्वोत्तम पेश करते हैं अच्छी तरह तैयार होकर मिलना , शालीनता से पेश आना और भी बहुत कुछ , विवाह हो जाता है असलियत सामने आती है लगता है लुट गये | विवाह इस बात पर निर्भर करता है जोड़ा एक दूसरे का पूरक है जो गुण मुझमें नहीं है वह साथी में हो दोनों एक दूसरे का सम्मान करें न कि कमियाँ गिनायें यहीं से झगड़ा शुरू हो जाता है एक आम शिकायत होती है तुम पहले ऐसे या ऐसी नहीं थी | शादी का एक अर्थ गृहस्थी की गाड़ी सुचारू रूप से चलाना है | अकसर लड़के लड़कियाँ कहते हैं मेरे टाईप का जीवन साथी चाहिए शादी के लिए यदि आप अपनी फोटो कापी ढूंड रहे थे यह ना मुमकिन हैं असंतोष तो होगा ही यदि एक को गुस्सा जल्दी आता है दूसरे का स्वभाव भी ऐसा है चिंगारियां तो निकलेंगी ही |
विवाह के इच्छुक लड़के लड़कियों को अपने चारो और के विवाहित जोड़ों के जीवन को ध्यान से देखना चाहिए अच्छे जोड़ें कैसे रहते है लड़ने भिड़ने वाले जोड़ों में ऐसी क्या कमियाँ थीं तलाक की नौबत आ गयी | समस्याओं का हल सहन शीलता एवं गम्भीरता से निकलता है जरूरत एक दूसरे को समझने की है |यदि आप खर्चीले है आपको पैसा फेंकना अच्छा लगता है आपके साथी को समझाना होगा बुरा समय भी आ सकता है पिंक स्लिप अचानक बिमारी ,एक्सीडेंट की स्थिति में क्या होगा ?यदि दोनों नौकरी करते है ख़ास कर पति की नौकरी जाती है वह निराश है बात – बात पर उग्र हो जाता है उसका अहम पत्नी के आश्रित रहने में आड़े आता है तानाकशी स्वभाव बनता जा रहा है लड़ाई झगड़े होंगे पत्नी को पति की स्थिति समझनी होगी नहीं तो अंत तलाक पर पहुंच जाता है |
करोना काल में सबसे अधिक पति पत्नी के बीच में झगड़े हुए है एक दूसरे को सहना भारी पड़ गया पैसे की कमी जबकि जरूरत सहयोग की थी |
आज का अधिकाँश युवा वर्ग नहीं जानता सब दिन होत न एक समान बुरे समय के लिए हर वक्त तैयार रहो | रिश्ते जो दर्द से जुड़ते हैं या कठिन समय को मिल कर काटते हैं मजबूत होते हैं |
हिन्दू समाज के अनुसार विवाह एक कर्त्तव्य है हर इन्सान को अपने पुरखों का कर्ज चुकाना है अगली पीढ़ी को एक जिम्मेदार योग्य बच्चे सौंपना पितृ ऋण माना जाता है हर व्यक्ति का नैतिक कर्त्तव्य माना जाता है| समझना चाहिए बच्चे के लिए माँ पिता दोनों जरूरी है उनकी खातिर अहम त्याग कर अच्छे गृहस्थ बने | माँ बच्चे को जन्म देती है पिता ऐसा वातावरण बनाते हैं जिससे बच्चे का सम्पूर्ण विकास हो सके फिर झगड़ा किस लिए पति पत्नी का सौहार्द घर की शान्ति बच्चों के व्यक्तित्व के विकास में सहायक होती है|
शादी कर क्या खोया आजादी, स्वछन्दता ,मन मर्जी से जीवन बिताने का आनन्द? क्या पाया ? ठहराव, भटकन समाप्त हुई मन की चंचलता , मृग तृष्णा पर विराम लगा ज्यों – ज्यों आयू बढ़ती है एक दूसरे को समझने लगते हैं एक दूसरे का संग साथ अच्छा लगता है | अधिकतर विवाहित जोड़े अपने मित्रों में शादी के बाद की कमियाँ , झगड़े दुःख गिनाते हैं अच्छे पल ,एक दूसरे का सहारा भविष्य के प्रति आश्वस्त होना अपना पर्सनल मामला समझते है उसे किसी नहीं बांटते अविवाहित दुखों की गठरी सुन कर डर जाते हैं |
माता पिता अपने बच्चों के स्वभाव को अच्छी तरह जानते है यदि निस्वार्थ भाव से अपने बच्चों के जीवन साथी का चुनाव करें गलती की सम्भावना कम होती है लोग अपनी शादी बचाने के लिए मेरिज कौंसिलर के पास जाते हैं जबकि यदि शान्ति से विवाह टूटने से पहले ठंडे दिमाग से आपस में बात करें मैरिज कौंसलर की जरूरत ही नहीं है |
इन्सान सामाजिक प्राणी है यहाँ तक कि जंगली जानवरों का भी एक समूह होता है जिसकी भावना वह आपस में समझते हैं इसलिए सामाजिक ताने बाने की अवहेलना करके समाज को कमजोर न करें सहयोग से जीवन चलता है|
दोस्तों में उठना बैठना तो ठीक है पार्टी करना शराब जुए की महफिल सजाना झूठी हंसी खुश रहने वाले लोगों का संग साथ घर देर से आना कब तक बाहर से ऊर्जा मिलेगी खोखली ख़ुशी अंदर से खालीपन पति पत्नी के बीच झगड़ें को बढ़ाता है अकेलापन पत्नी को खाने लगता है इसका परिणाम भयानक निकलता है लेकिन समझना चाहिए भीतरी आत्म शक्ति आपके जीने का आधार होती है अपनी ख़ुशी स्वयं ढूंढें न कि अमरलता की तरह सहारा ढूंढें| व्यस्त लोग एक दूसरे का इंतजार नहीं करते परिवार में बच्चे भी होते है परिवार बनेंगा समाज बनेगा पास पड़ोस खुशहाल होगा देश बनेगा भावी जीवन सुखद होगा |
दुःख का समय बुरे समय में किया गया पति पत्नी का संघर्ष रिश्तों की भट्टी में तप कर और मजबूत होता हैं |आजकल चटपट का जमाना है लेकिन विवाह की संस्था में ऐसा नहीं होता यह रिश्ता शनै – शनै पकता है यह समय चाहता है |विवाह सम्बंध एक दूसरे के प्रति समर्पण से सींचे जाते हैं जैसे पौधा धीरे – धीरे बढ़ता है रिश्ता भी इसी तरह परवान चढ़ता है जल्दबाजी से कुछ नहीं होता सम्बंध में खटास आने से पहले समय और धीरज की जरूरत होती है |
विवाह फायदे का सौदा सोच कर नहीं किया जाना चाहिए यह योगदान से चलता है यही अच्छे रिश्ते की आत्मा है | एक जैसा स्वभाव है झगड़ा शुरू होने से पहले समाप्त हो जाता है शाबासी इसमें में अलग स्वभाव वाले मिल कर रहें निस्वार्थ योगदान दें उद्देश्य ( purpose) के लिए की गयी शादी के टूटने की सम्भावना अधिक होती है |
शादी का इरादा करने से पहले सोचें बंजर जमीन पर बाग़ लगाने जा रहे है पहले अपने आप को विवाह के लिए तैयार करें अपनी गृहस्थी में परायों को न आने दें भीतर और बाहर दोनों से अपने रिश्ते को बचा कर रखें |
स्त्री पुरुष की रचना ईश्वरीय है दोनों एक दूसरे के पूरक हैं | ईश्वरीय रचना का सम्मान करें जब विवाह में केवल सुख ढूंढा जाता है क्लेश पैदा होता है रिश्ते में भावना से पदार्पण करें सम्भावनायें न तलाशें सम्भावनायें , अपेक्षायें उम्मीदें दिवास्वप्न दिखावटीपन से ऊपर भावना है | घर तोड़ना आसान है आज के युग में जोड़ना मुश्किल है जहाँ अहम हावी हो गया और भी मुश्किल |
विवाह के बंधन में बंधने से पहले एक दूसरे को अच्छी तरह जान ले तभी विवाह उचित है | हस्ताक्षर डॉ शोभा भारद्वाज Dr shobha Bhardwaj (talk) 19:58, 7 October 2024 (UTC)
महर्षि बाल्मीकि द्वारा लिखित लयबद्ध रामायण ( आलेख ) , डॉ शोभा भारद्वाज
[edit]महर्षि बाल्मीकी द्वारा लिखित लय बद्ध रामायण ( आलेख ) डॉ शोभा भारद्वाज
महर्षि बाल्मीकी श्री राम के समकालीन थे अत : उनके द्वारा लिखित रामायण तथ्यों और घटनाओं के आधार पर लिखित मानी जाती है |रामचरित्र मानस में एक प्रसंग के अनुसार श्री राम बनवास के समय बाल्मीकी आश्रम में पधारे थे उन्होंने ऋषिवर को दंडवत प्रणाम करते उनकी वन्दना की “तुम त्रिकालदर्शी मुनिनाथा, विस्व बदर जिमि तुमरे हाथा।"
ऋग्वेद में राम शब्द का उल्लेख है राम नाम के प्रतापी धर्मपारायण राजा हुए थे सीता भी वैदिक ऋचाओं का हिस्सा रही हैं सीता को कृषि की देवी माना जाता है |विश्व में लगभग विभिन्न भाषाओं में 300 रामायण हैं सबमें मूल कथा वस्तु एक है | बाल्मीकि संसार में दुःख ही दुःख हैं , दुःख का निवारण कैसे हो और सच्ची ख़ुशी की खोज में अकेले एक निर्जन वन यहाँ से तमसा नदी प्रवाहित होकर कर गंगा में विलीन होती है| वह ध्यान की मुद्रा में बैठ गये निर्जन प्रदेश में प्रकृति के सौन्दर्य के अलावा और कुछ नहीं था| बिना हिले वर्षों ध्यान मुद्रा में बैठे ऋषिवर के हाथ उनकी जंघाओं में टिके थे | कई ऋतुएं निकल गई वह इतने स्थिर थे उन पर मिट्टी की परतें जमती गई उनमें सफेद चीटियों ने अपने घर बना लिये | दूर से वह मानवाकार मिट्टी का ढेर नजर आते थे उसमें उनकी तेजस्वी आँखे चमकती थी जो सत्य की खोज में आतुर दिखाई देती थी मस्तिष्क ध्यान की दुनिया में खोया था |
एक सर्दी की ढलती दुपहरी चारो और बादल छाये हुये थे उनके पास ब्रम्हा के मस्तिष्क से उपजे महर्षि नारद तीनों लोकों में अपनी वीणा से संगीत बजाते विचरण करते थे, पहुंचे |उन्होंने बाल्मीकि से कहा तंद्रा से बाहर निकलो ऋषि श्रेष्ठ मेरी मदद करो |बाल्मीकि ने उत्तर दिया मुझे मेरे ही संसार में रहने दो बाहरी दुनिया में थोड़ी सी ख़ुशी में भी कष्ट छिपा रहता है |नारद जी घुटनों पर बैठ गये उन्होंने बाल्मीकि की आँखों में झांकते हुए कहा संसार का हर जीव किसी कर्म के लिए जन्म लेता है | बाल्मीकि ने उत्तर दिया ऋषिवर यदि एक भी ऐसा उत्तम कर्मठ आदर्श पुरुष जो सत्य पर अडिग है उसका नाम बतायें मैं बाहरी दुनिया में आ जाऊंगा नारद ने उत्तर दिया राम श्री राम |
आदर्श पुरुष पिता के बचनों का पालन करने के लिए अपनी सुकुमारी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ चौदह वर्ष के लिए राजमहल छोड़ कर बन गये उन्होंने अपने बनवास का अंतिम वर्ष दंडक वन में बिताया यहाँ राक्षस विचरण करते थे उनकी पवित्र सीता को लंका का राजा राक्षसों का सम्राट रावण हरण कर ले गया राम रावण का भयंकर युद्ध हुआ राम ने लंका पर विजय पाई वह अपनी राजधानी लौट आये , अयोध्या के राजा बने लेकिन जनमत ने राम को सुकुमारी सीता को छोड़ने के लिए विवश कर दिया वह नहीं जानती है उनका त्याग कर दिया गया है अयोध्या का राजरथ, उनके देवर लक्ष्मण चला रहे हैं उन्हें निसहाय जंगल में छोड़ देंगे| पवित्र मना सीता गंगा में प्रवेश कर लेगी राम के अजन्में बच्चे भी उनके साथ समाप्त हो जायेंगे |ऐसा क्या दोष था सीता में ? नारद ने उत्तर दिया महान राजा राम अपने आदर्श राजतन्त्र में एक भी विरोध का स्वर नहीं चाहते सीता रावण जैसे राक्षस के राज्य में रही हे अत : विरोध के स्वर उठ रहे हैं वह लंका में अग्नि परीक्षा दे चुकी हैं | उठो सीता को अपने संरक्षण में ले लो राम कथा लिखो इसे राम के पुत्रों को भी सिखा दो अब यह स्थान निर्जन नहीं रहा |
बाल्मीकि ने उठ गये उन्होंने देखा एक राजरथ आ रहा है वह ठहर गया उसमें से सीता उतरी एक नाव से उन्होंने गंगा पार की सीता को लक्ष्मण कुछ कह रहे हैं वह विचलित नजर आ रहे हैं अब सीता को छोड़ कर नाव से दूसरे तट पर जा रहे हैं राज रथ भी लौट गया सीता आगे बढ़ीं वह रास्ता भटक गयीं है नाव का भी कुछ पता नहीं है निस्सहाय सीता चुपचाप गंगा को हाथ जोड़ कर उसमें प्रवेश कर गई |माँ गंगा का प्रबाह धीमा पड़ गया मानों ठहर गया हैं गंगा के गुनगुने जल में पवित्र आत्मा रोती हुई आगे बढ़ रही हैं उनकी आँखों से आंसुओं की धारा गंगा में विलीन हो रही है | सूर्य अब बादलों से ढक गया सीता को भगवती गंगा में ही अपना सुरक्षित घर नजर आया| ऐसा लग रहा था जैसे भागीरथी उन्हें बुला रही हों | बाल्मीकि हिले उनके बदन से कुछ मिटटी झड़ी| तत्काल नदी की और से चार लडके उनकी तरफ दौड़ते हुए आये उन्होंने कहा मान्यवर किसी महाराजा की पत्नी ,ऐसा लग रहा है जैसे स्वर्ग से उतरी हों गंगा के प्रवाह में विलाप कर रही हैं वह अकेली हैं पहले उन्हें कभी नहीं देखा उनकी रक्षा करो – रक्षा करो बाल्मीकि सीता की और भागे उन्होंने कहा पुत्री ठहरो – ठहरो मेरे साथ चलो यह अजनबी जगह भी तुम्हें अपने पिता के घर जैसी लगेगी |मैं अपनी पुत्री के समान तुम्हारी रक्षा करुगाँ |
सीता ठहर गयीं बाल्मीकि ने देखा ऐसा लग रहा था जैसे सत्यता और अच्छाई उनके सामने रेशम की साड़ी में लिपटी खड़ी हो |जल्दी ही उस ग्राम की महिलाओं ने सीता को घेर लिया उन्हें वह अपने आश्रम ले गई | किसी ने नहीं पूछा देवी आप गर्भावस्था में अकेली वन में कैसे? उनके लिए वह वनदेवी थीं |ऋषिवर ने गंगा में स्नान किया शरीर पर जमी मिटटी की परतें साफ की वृक्ष की छाल से अपने शरीर को ढका उनके लिए ग्राम वासियों ने झोपडी तैयार कर दी उनकी कर्म भूमि तैयार थी एक बड़ी जिम्मेदारी सामने थी |
दो दिन बीते वह सोचते हुए एक पत्थर के सहारे बैठ गये नदी में सफेद पक्षी अपनी चोंच से जल भर कर अपने ऊपर डाल रहे थे | हंसों का सुंदर जोड़ा नर पक्षी अपनी मादा को आकर्षित करने के लिए मधुर स्वर से गाने लगा इसी समय बहेलिये ने एक पक्षी पर तीर चलाया पक्षी धरती पर असहाय हो कर गिर पड़ा | उसके सफेद पंखों पर खून की धारा गिरने लगी कुछ पलों में बाल्मीकि के सामने धरती पर गिर कर मर गया दूसरा पक्षी विलाप करने लगा बाल्मीकि पक्षी का करुण विलाप सह नहीं सके करुणा से भर गये | इतने में बहेलिया धनुष ले कर अपने शिकार को उठाने आया बाल्मीकि की जिव्हा में सरस्वती का वास हुआ उन्होंने कहा “ ऐ बहेलिये तुमने मासूम पक्षियों को जब वह प्रेम में खोये हुए थे मार डाला तुम्हें कहीं चैन नहीं मिलेगा बाल्मीकि के देखते ही बहेलिया भागा परन्तु वही ढेर हो गया |यह संस्कृत का लयबद्ध श्लोक था |
उनके पास सृष्टि के रचयिता ब्रम्हा पधारे उन्होंने लाला वस्त्र धारण किये थे उनके सिर और दाढ़ी के बाल सफेद थे बाल्मीकि ने उनके पैर धोये उन्हें पीने के लिए घड़े का पानी दिया |लेकिन ऋषिवर अभी भी उन नन्हें पक्षियों के बारे में सोच रहे थे उनका क्या दोष था ?उनमें इतना मांस भी नहीं था जिसके लिए मारा जाये | धरती में दया क्यों नहीं है |ब्रम्हा ने कहा प्रेम में लीन आहत पक्षियों को देख के तुम्हारे मुहँ से करुणा में अचानक श्लोक निकला था वह संसार की पहली गायन की जाने वाली पंक्तियाँ हैं जो अतिशय पीड़ा से उपजी हैं | तुम सीता उनके आने वाले बच्चों के संरक्षक हो तुम्हे राम कथा लिखनी है जो गायन शैली में हो ,कथा को राम के पुत्रों द्वारा तुम्हें जन मानस तक पहुँचाना हैं |
बाल्मीकि चटाई पर बैठ गये उनका चेहरा पूर्व दिशा की और था उनके हाथ में मिटटी का पानी से भरा कटोरा था जिसमें उन्हें राम सीता दिखाई देने लगे राम सीता के जीवन की समस्त घटनायें घटित होती दिखाई देती जिसे वह अपने श्लोकों में उतारते उन पंक्तियों में पीड़ा और लयबद्धता थी बाल्मीकि अब भगवान महर्षि बाल्मीकि थे जिन्हें लोग आज सदियाँ बीतने पर भी पूजते हैं |हर राम कथा का मूल बाल्मीकि की रामायण है | आगे जा कर श्री गोस्वामी तुलसी दास ने राम चरित्र मानस के रूप में घर-घर पहुंचा दिया | स्तोत्र - लगभग 300 रामायण विभिन्न भाषों में लिखी गयी हैं लेकिन कथा वस्तु सबमें एक सी है |
ह्स्ताक्ष्ण डॉ शोभा भारद्वाज Dr shobha Bhardwaj (talk) 17:00, 17 October 2024 (UTC)