User:Gaurida2011

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             मालू के पत्तों से बनाए हरेला पात्र

राजकीय इंटर कॉलेज गुनियालेख  के मानविकी वर्ग के बच्चों के द्वारा अनूठी पहल करते हुए इस बार हरेला पर्व में हरियाली का संदेश देने के उद्देश्य से मालू के पत्तों से 'हरेला पात्र' बनाए हैं।

स्थानीय भाषा में 'छापरी' कहे जाने वाले इन हरेला पात्रों का गांव- घर में काफी प्रचलन है । लोग हरेला पर्व के अवसर पर अपने कई पूर्वजों की इस परंपरा को आज भी निभा रहे हैं। इसी पहल को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से राजकीय इंटर कॉलेज गुनियालेख के प्रभारी प्रधानाचार्य एवं वरिष्ठ शिक्षक गौरीशंकर काण्डपाल के द्वारा भी अनूठी पहल करते हुए बच्चों के साथ मिलकर हरेला पात्र बनाए हैं, जिसे इस बार के हरेला पर्व के अवसर पर लोगों को भेंट स्वरूप दिया जाएगा ।

गौरी शंकर काण्डपाल का कहना है कि, इसके माध्यम से जहां एक ओर इससे परंपरागत ज्ञान को नई पीढी को सीखने का अवसर मिलेगा, वहीं दूसरी ओर किसी तरह का अपशिष्ट भी नहीं बचेगा। यह उत्पाद पूर्ण रूप से पर्यावरण के अनुकूल है।

हरेला पात्र के निर्माण में विद्यालय के जिन बच्चों ने सहयोग किया उसमें दीपक तिवारी ,सुरेश चंद्र, पंकज कुमार , सूरज भट्ट, मुकेश चंद्र आदि रहे।


©गौरी शंकर काण्डपाल, 8909848043