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panna dai khichi source by Veer vinod vol.ii

Summary

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पन्ना धाय‌‌ खींची

पन्ना धाय का जन्म [1470_1480] के बिच मे हुआ होगा पन्ना धाय‌ के त्याग और बलिदान दान के बारे में तो हम सब जानतें हैं पर हम उनके सचे इतिहास के बारे में‌ नहीं जानते है उनके जीवन के बारे में हमें इती जानकारी प्राप्त नहीं होती पर जब हम‌ पुराने पुस्तकों का अध्ययन करते हैं तों हमें उन के बारे जानकारी प्राप्त होती है पन्ना धाय‌ खींची कुल कि क्षत्रिणी थी

पन्ना धाय‌ के जीवन के बारे में जानकारी

पन्ना धाय‌ का जन्म खींची कुल में हुआ था वीर विनोद भाग 2 में पन्ना धाय‌ को‌ खींची जातीकी राजपूतनी बताया हैं‌ कर्नल टॉड राजस्थान का इतिहास‌ भाग प्रथम में भी खीची वंश का हि बताया गया है और पन्ना धाय ऐतिहासिक नाटक लेखक क्षी शिवप्रसाद चारण'एम.ए.ने ‌पन्ना धाय ऐतिहासिक नाटक में भी खीची कुल का ही बताया हैंं राजपूताने का इतिहास पहला भाग जगदीश सिंह गहलोत - में खींची वंश का ही बताया है मेवाड़ का इतिहास‌ में भी खीची वंश का‌ बताया हैं ANNALS OF RAJASTHAN

THE ANNALS OF MEWAR

BY C. H. PAYNE, M.A. इस में भी खीची वंश का बताया है

पन्ना धाय‌ के पति

पन्ना धाय के पति के बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं है पर गौरीशंकर हीराचन्द ओझा द्वारा लिखित पुस्तक राजपुताने इतिहास भाग 2 राणा सांगा के समर्थन में खानवा के युद्धा‌ कई वीर योद्धा वीरगति को प्राप्त १४ वि.स.१५८४= १७ मार्च ई.स २५२७ सुबेरे युद्ध प्रारम्भ हुआ समर्थन में रावाल उदयासिंह (वागड़ का), सरदी (शत्रु सेना खीची), मेदिनशिय हसनखा मेवाती, महमुदखा (सिकन्दर लोदी का पुत्र), विरमदेव (वीरमदेव मेड़तिया), चन्द्रमान चौहान, भूपतराय (सलहदी का पुत्र), मानिकचन्द चौहान, दिलीपराय, गंगा, कर्मसिंह, डुंगरसिंह,‌ पन्ना धाय के पति भी वीर वीरगति को प्राप्त हुए. वीर वीरगति प्राप्त हुए युद्धा‌ उदयसिंह, हसनखा मेवाती, माणिक चन्द चौहान, चंद्रभाण चौहान रत्न सिंह चडावत, भाला अज्जा, रामदास सोनगरा, परमार गोकलदास, राय मल राठोड़, मेड़तिया और खेतसी

राणा सांगा

राणा सांगा की मृत्यु ३० जानकारी १५२८ हुई भाटो की ख्यात के अनुसार राणा सांगा ने २८ विवाह किये थे जिनसे सात पुत्र भोजराज, जिनका विवाह मीराबाईमीराबाई से हुआ था सबसे बड़े पुत्र थे‌ कारण‌ सिंह, रत्न सिंह, विक्रमादित्य, उदयासिंह,राणा सांगा के काल में ही उनकेे पुत्र पुत्री की मृत्यु हो गई थी,राणा सांगा की मृत्यु के बाद मेवाड़ की गदी पर तीन शासक बेठे रत्न सिंह, विक्रमादित्य, उदयासिंह,

रत्न सिंह

राणा सांगा की मृत्यु के बाद रत्न सिंह गदी पर बैठ रत्न सिंह जोघपुर के राव जोधा के पोते बाघा सूजावत की पुत्री घनाई घनकुवंर से उत्पन्न हुआ रत्न सिंह की षड्यंत्र‌ से मृत्यु करवा दि गई थी‌ वि.स.१५८४ माध सुदी १५ ई.स.१५२८ था.५ फरवरी तक

विक्रमादित्य और उदयसिंह

विक्रमादित्य और उदयसिंह बुंदी के राव भांडा की पोती और नरबद की बेटी करमेती कर्मवती से उत्पन्न हुआ कर्मवती विक्रमादित्य को राजा बनाना चाहती थी रत्न सिंह की ‌मृत्यु बाद विक्रमादित्य गदी पर बेठे वि.स.१५८८ इ.स.१५३२ तक

वणीवीर

महाराणा रायमल के सुप्रसिद्ध कुंवर पृथ्वीराज का अनौरस पुत्र बणावीर चितोड़ आया और महाराणा के प्रीतिपात्रों से मिलकर उनका मुसाहिब बन गया वि.स.१५६३ ई.स.१५३६ में एक दिन रात समय उसने‌ महाराणा विक्रमादित्य को १६ वर्ष की आयु में अपनी तलवार से काट डाला

पन्ना धाय का त्याग और बलिदान

बणीवीर उदयसिंह को भी मरना चहता था क्योंकि उदयसिंह अंतिम राजा बाजा था कर्मवती रानी ने उदयसिंह की देख रेख के लिए पन्ना‌ को धाय नियुक्त किया था महलों में कोलाहल होने पर जब उसकी स्वामिभक्ति घाय पन्ना को महाराणा विक्रमादित्य के मारे जानें का हाल मालूम हुआ तब उस ने उदयसिंह को बाहर निकाल दिया और उसने अपने स्व के पुत्र चंदन को नींद में उदयसिंह के पलंग पर सूला दिया जब वणीवीर आया और उस ने पूछा की उदयसिंह कहां है तो उस ने पलंग की तरफ़ इशारा कर दिया और बणीवीर ने उस तलवार से मार डाला

अचलदास जी खींची गागरोन के शासन का इनका विवाह रानी पुष्पावती (रानी लाला मेवाड़ी ) से हुआ था लालाँ मेंवाडी महाराणा मोकल की पुत्री थी राणा कुम्भा रानी लालाँ इनका भाई था पाल्हनदेव राणा कुम्भा का बहनजा था राणा कुम्भा ने पाल्हनदेव कि गागरोन युद्ध में सहायता भी कि थी अपनी सेना भेज के गागरोन पन्ना धाय इनी कि वंशज है  

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